Wednesday, June 15, 2011

Lekin...

खता हमारी नज़र की नहीं
जादू तुम्हारी अदा में है 
शरारत हमारे नीयत की नहीं 
धोका तुम्हारी अदा में है 

नशा हमारी आदत ही नहीं 
मैखाना तुम्हारी आँखों में है 
तैरना हमरी क़ाबलियत ही नहीं 
गिर्दाब तुम्हारी आँखों में है 

नींद हमारी दुश्मन तो नहीं 
चोरी आपकी नज़र में है
दर्द हमारी फितरत तो नहीं
छुरी तुम्हारी नज़र में है 

दीवानगी हमारी सीरत में नहीं 
जूनून तुम्हारी मुस्कान का है 
बेहयाई हमारी अलामत में नहीं 
जबर तुम्हारी मुस्कान का है 


- दीपक करामूंगीकर 

4 comments:

meena said...

Shayari andaaz mein....wah wah....khoobsurat!

Venkat Parthasarathy said...
This comment has been removed by the author.
Venkat Parthasarathy said...

ऐसे ही किसी को तारीफ करना हमारी आदत नहीं,
खूब भरी है खुशहाली , तुम्हारी कविता फिर भी एक और उदाहरण है !

खुशनसीब हैं हम, की आप जैसे बेहतरीन लोग हमें दोस्त मानते हैं,
वैसे भी हम खुद के अल्प खाबिलियत पर इतना ज्यादा नाज़ करते हैं !

जियो लेखक, कवी, चित्रकार, निर्देशक... यह देश तुम पर गर्व करता है...!

@nagpingili said...

#epiclines
नशा हमारी आदत ही नहीं
मैखाना तुम्हारी आँखों में है