खिले थे गुलाब इस आँगन में उस शाम
धुप छाँव की अन बन में ले रहे थे तेरा नाम
डूब गयी थी तेरे इंतज़ार में इस तरहा आँखें
पता ही न चला कौनसे थे आंसू, कौनसे थे अरमान
सांस लेने में भी डर लग रहा है ,
सांस के बहाने आस ना छूट जाए कहीं,
लेकिन हवा भी कुछ इतनी ख़ास थी उस शाम
हर झोंका ला रहा था तेरे आने का पैगाम
ख़्वाबों की दरी बिछाए हर ज़र्रे को सजाया था
सितारों की चमक चुरा कर हर कोने को रोशन किया था
पता नहीं था तेरी परछाई में भी वोह रौशनी थी
आँगन क्या, तूने मेरी ज़िन्दगी से ही अँधेरा मिटाया
तुम्हारी आहाट का प्यास था मेरा आँगन
उस पायल की खनक ने तो फूल ही उगा दिए
जिस चौखट पर बैठ कर तेरी आवाज़ ढूँढता था
देखते देखते वहाँ जैसे तेरा मंदिर ही बन गया
- दीपक करामुंगीकर
धुप छाँव की अन बन में ले रहे थे तेरा नाम
डूब गयी थी तेरे इंतज़ार में इस तरहा आँखें
पता ही न चला कौनसे थे आंसू, कौनसे थे अरमान
सांस लेने में भी डर लग रहा है ,
सांस के बहाने आस ना छूट जाए कहीं,
लेकिन हवा भी कुछ इतनी ख़ास थी उस शाम
हर झोंका ला रहा था तेरे आने का पैगाम
सितारों की चमक चुरा कर हर कोने को रोशन किया था
पता नहीं था तेरी परछाई में भी वोह रौशनी थी
आँगन क्या, तूने मेरी ज़िन्दगी से ही अँधेरा मिटाया
तुम्हारी आहाट का प्यास था मेरा आँगन
उस पायल की खनक ने तो फूल ही उगा दिए
जिस चौखट पर बैठ कर तेरी आवाज़ ढूँढता था
देखते देखते वहाँ जैसे तेरा मंदिर ही बन गया
- दीपक करामुंगीकर
2 comments:
Very well written! aap ke aangan mein char chaand lag jaaye!
पता ही न चला कौनसे थे आंसू, कौनसे थे अरमान
हर झोंका ला रहा था तेरे आने का पैगाम
Loved those lines! Very beautiful.
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